जिस दिन आपकी कहानी में
मेरी गलियों का मोड़ आ जाए
तब समझ लेना कि उस जगह मेरी तारीफ हो रही है
मेरी दीवाली और तुम्हारी ईद हो रही है
फिर भी फर्क करने वाले फर्क करते रहेंगे
कुछ लोग हमारे तो कुछ लोग तुम्हारे रहेंगे
फर्क नहीं लगता है हमको खुशियों के नाम पर
की जो होठ हमारे मुस्कुराते
वही होठ मुस्कुराते तुम्हारे रहेंगे
बाजार में जो नोट हमारे होंगे
वही नोट तुम्हारे रहेंगे
हम इन्हीं नोटों के खुशियों के सहारे होते हैं
एक दूसरे को देख कर हम मुस्कुराते है
कहानी से मोड़ गुजरता है
और हम सीधी राह हो जाते है
फिर मोड़ आते है बुराइयों के
और हम बदनाम हो जाते है
हम सब की मंशा एक होती है
फर्क करने वाले फर्क कर जाते है
हम जिंदा होते है फिर भी मर से जाते है
आग लगी नहीं होती फिर भी हम जलते जाते है
*thought Writer DKSAYAR*