लुकाछिपी मत खेलो
चांँद आज बादल में।
खुशियांँ जहांँ की भर दो
आज मेरे आंँचल में।
चूड़ियांँ खनकती रहे
सदा मेरे हाथों में।
माथे पर बिंदिया सजे
सिंदूर भरा रहे मांग में।
सजना का मन डोले हौले हौले
पायल जब छनके पाँव में।
बालों में गजरा आंँखों में कजरा
मेहंदी लगाए हाथ में।
लाल चुनरिया सर पर ओढे
पिया को बसाया है मन में।
कर सोलह सिंगार
किया है उपवास
पूजूं तुझे इस आस में।
लंबी उम्र हो पिया की
साजन का साथ मिले
मुझे हर जीवन में।
कब से खड़ी तेरी राह निहारुं
चंपई उजाला फैला दे नभ में।
प्यासी आंँखें राह निहारे
जल्दी आजा चंदा नभ मे।
रमा बहेड हैदराबाद
