नफरत के बीज बो गया-जानदार रचना

“कौन जालिम आकर यहाँ पर नफरत के बीज वह गया”
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दो बात दिल की उनसे की तो मेरा सारा दर्द खो गया

लोगों ने मुझसे पूछा यार तुम्हें आज क्या हो गया।

मै भी आज अपनी इन बेकरार आंखों से हंस पडा

मै तो यह भी ना कह सका कि मुझे भी प्यार हो गया।

ना चाहते हुए भी दिल की बात जुबां पर आ जाती है

दर्द उनका सुनकर आंसुओं का सैलाब मेरी आंखें भिगो गया

जिसके लिए मैंने जिंदगी में हसीन सपने देखे थे कभी

प्यार के सपने देखते देखते मेरा जागता दिल भी सो गया।

प्यार करने वाले अंजाम की कभी परवाह नहीं करते

क्या होगा कैसे होगा जो होना था वह तो आज हो गया।

प्यार तो किया नहीं जाता ये प्यार तो हो जाता है अक्सर

फूंक कर कदम रखे थे मैंने पता नहीं यह कैसे हो गया।

मैंने तो हसीन फूल खिलाए थे प्यार के इस गुलशन में

कौन जालिम आकर यहाँ पर नफरत के बीज बो गया।

सीताराम पवार
उ मा वि धवली
जिला बड़वानी
9630603339

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