नशा की घनाक्षरी- रचनाकार-संतोष पांडेय

🌸🌸नशा की घनाक्षरी 🌸🌸

नशा का जहाँ हो वास,
करे बल – बुद्धि – नास,
शान्ति का करे विनाश,
नशा दुखदाई है l

सुख करे तार तार,
बहे आँसुओं की धार,
दिखता है अँधियार,
नशा तो बुराई है ll

तोड़ता है प्रेम – जाल,
कराता सदा बबाल,
नेह दिखे तंगहाल,
कराता लड़ाई है l

इसके अनेक नाम,
नष्ट करे धन धाम,
गाँठ में रहे ना दाम,
भागती लुगाई है ll

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कोई गांजा भांग पीता,
दारू के नशे में जीता,
गृहस्थी लगे पलीता,
नशा जड़ नाश की l

कोई बीड़ी सिगरेट,
कोरेक्स लें भरपेट,
रहता है हाई रेट,
बनते हैं पातकी ll

चरस अफीम छाने,
किसी का कहा ना मानें,
मिलता क्या राम जानें,
देखो दसा लाल की l

कराती है नशा जेल,
होता हार्ट गुर्दा फेल,
नशा में कसो नकेल,
कविता कमाल की ll

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ग्राम कवि सन्तोष पाण्डेय “सरित” गुरु जी गढ़ रीवा (मध्यप्रदेश) 8889274422 /8224913591

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