नव दिन नव रुप, देवी दुर्गा मन पूज,
धूप दीप नैवेद्य से,
मात को मनाईए!
प्रथम है शैलपुत्री, बृषभ पर सवार,
घन्य धान्य परिपूर्ण,
मस्तक नवाईए !
दूजी है ब्रह्मचारिणी, विद्या बुद्धि प्रदायिनी,
तप त्याग की मूरत,
जीवन उतारिए!
असुरों को संहारती, दुःख दर्द निवारती,
माॅं चंन्द्राघंटा की कथा,
सबको सुनाईए!
प्रभाकांति सूर्य सम, शुचि अचंचल मन,
करो पूजा उपासना,
धीर मन चाहिए!
अहर्निश शंखनाद,सारी सृष्टि गयी जाग,
जलते अखण्ड दीप,
देवी गीत गाईए!
शेर पर सवार है, त्रिशूल गदा साथ है,
महिमा अपरम्पार,
कृपा बरसाइए!
ऋदि सिद्धि बरसाती,भव सागर तारती,
प्रेम से पुकार लो
हृदय बसाइए !
कामना पूर्ण करती, सुख समृद्धि भरती,
उर प्रेम भाव भर,
अम्बे को पुकारिए!
सुषमा सिंह
औरंगाबाद
वाह ,बहुत सुंदर।