लक्ष्मी का आगमन

लक्ष्मी का आगमन

शीर्षकः छोटी दिवाली
हरि से बोलीं लक्ष्मी माता ,
सुनिए विनती हे श्रीनाथ ।
आ रहा है अब दिवस मेरा ,
भक्तगण कर रहे मेरी गाथ ।।
जा रही हूँ अब मैं धरा पर ,
भक्तों की देखने हेतु भाव ।
सफाई सुथरे तो खूब होते ,
आपसी प्रेम होता अभाव ।।
आगमन हेतु क्रय विक्रय होता ,
बर्तन जेवरात हीरे औ मोती ।
पूजा करनेवाले जा खरीदते ,
नववस्त्र गमछा कुर्ता व धोती ।।
पूजा पाठ तो होती खूब मगर ,
पवित्र भाव का वहाँ अँधेरा है ।
ईर्ष्या द्वेष छाया जन जन में ,
मानव मन अहंकार बसेरा है ।।
देखना मुझे वहाँ बस यही है ,
किसके दिल कैसा कौन बसा है ।
किसके घर स्वागत है दिल से ,
किसका दिल अँधकार फँसा है ।।
जन जन जुटे आज स्वागत में ,
लक्ष्मी माता का आगमन होगा ।
पूजा से माता हर कष्ट ही हरेंगी ,
दिल का हर बुराइ दमन होगा ।।

अरुण दिव्यांश
छपरा ( सारण )
बिहार

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