विजयादशमी की शुभकामनाएं-प्रेमी

विजयादशमी की शुभकामनाएं

दशहरा का पर्व यह ,पावन और पुनीत
पाप हमेशा हारता,होती पुण्य की जीत ।
भाईचारे और प्रेम का ,है यह पर्व प्रतीक
गाते हमसब प्रेम से , माँ दुर्गे की गीत ।।

मन मे भक्ति भावना, हरदम रखते साथ
नौ दिन के उपवास में, करते माँ का पाठ ।
रघुवर ने इस दिन किया रावण का संहार
दैत्य वध से माता ने जग का किया उद्धार ।।

आश्विन मास शुक्लपक्ष ,पावन पर्व पुनीत
विजयादशमी पर्व यह ,सदा बढ़ाती प्रीत ।
नये वस्त्र धारण करे, इस दिन हिन्दू लोग
एक दुजे के घर पाते, प्रेम से मीठे भोग ।।

बडे़, बूढ़े, विद्वानों को, कर जोरी प्रणाम
बच्चों को आशिष मेरा, प्रेमशंकर है नाम ।
माँ दुर्गा कृपा करें , रहे लोग खुशहाल
जिनसे मिट जाता यहाँ, बूरा वक्त हरहाल ।।
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कवि प्रेमशंकर प्रेमी

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