रिश्तों की मर्यादा
धर्म, अध्यात्म, नैतिकता चहुंओर,
ज्ञान से परिचय कराते त्यौहार।
सर्वोपरि होता है पितृ सम्मान,
बतलाते हैं पुरुषोत्तम श्रीराम।
भ्राता प्रेम में सर्व सुख कुर्बान,
लक्ष्मण जैसा कौन है महान।
पति वियोग में संयम असीम,
राजदुलारी उर्मिला सिखलाती।
सबसे बढ़कर नारी का सम्मान,
रावण हारा,चाहे कितना विद्वान।
वचन की खातिर सब बलिदान,
दशरथ को चाहे कितना प्रिय राम।
तुच्छ हुआ राज्य,समक्ष प्रेम भ्राता,
ना होगा कोई बैरागी,भाई भरत सा।
वीर बजरंगी बिन गाथा अधूरी,
जिन्होने बना दी सेना बलशाली।
असत्य पर रहता सत्य विजयी
अधर्म पर हमेशा रहे धर्म भारी।
उच्च जीवन,रखो विचार सादा,
विजयदशमी बताये रिश्तों की मर्यादा।
सोनिया गाजियाबाद।