खुल कर जी लेंगे कवि – राजेश जाधव

🤘 *खुल कर जी लेंगे*🤘
कवि – राजेश जाधव

*कुछ पुरानी क्लासिक फिल्मे,*
*देखनी थी, पर रह जाती है!*
*सदाबहार कुछ गीत पुराने ,*
*देखना, सुनना रह जाता है!*

*वो साईकील जो पडी धूल मे,*
*महिनो से उसे छुआ ही नहीं!*
*स्पोर्ट शुज् थे नये नवेले,*
*बक्सेसे निकले ही नहीं!*

*बांसुरी पर भी सारेगामा*
*बजते बजते रह जाता है.*
*तबले का भी धा धिं धिं धा*
*बोल कहा अब वो आता है!*

*दोस्तो से घंटो तक बाते,*
*अब ऐसी फुरसत ही कहा!*
*हसते हसते लोटपोट होना,*
*अब ऐसी फुरसत ही कहा!*

*नये साल मे इन बातो को,*
*हम वास्तव मे कर ही लेंगे!*
*जीवन जो अनमोल मिला है,*
*खुल कर उसको हम जी लेंगे!*

*कवि – राजेश जाधव (महाराष्ट्र)* *9422253742*

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