कविता “सूर्य उदय”
ठंडी ठंडी हवा चली।
मिलजुल कर उपवन
में मस्ती चढ़ी।
फूल देख कर
कालिया मुस्कुराई
देखो नई सुबह आई ।
धीरे धीरे सूरज निकला।
लाल स उसका चेहरा
जैसे अभी मुंह
धो कर निकला।
सारी फिजाओं और उपवन
की कलियों ने
सूर्य का स्वागत किया
पक्षियों ने भी सुंदर
गीतो का गान किया।
सुंदरी अहिरवार
भोपाल मध्यप्रदेश
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