कहा था ना मिलेंगे
*आइये न मेरे प्रीत जहाँ पर पहले हम मिले थे…….*
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अनन्त अनन्त जन्मों पूर्व !
तब कहा था ना ..मिलेंगें कभी….
यही किसी तरह चाँदनी की
रोशनाई में देखना मुझे…..
हाँ !मैने देखा !
तुम कहाँ मिले ????
नही मिले,..!
मैं ढूँढता रहा…
बिन्दु तलक ….
क्षितिज तलक,,??
कहा था ना.. मिलेंगें,,,
संध्याकाल की
अंगडाई में देखना मुझे,,,
हाँ !..मैने देखा ,,!
तुम कहाँ मिले,,??
नही मिलें,,,
मैने खोजा,,
शाम तलक ,,
भोर तलक !!
कहा था ना प्रिये.. मिलेंगें,,
वैवस्वत मार्तन्ड की
तरूणाई मे देखना मुझे
हाँ हाँ !..मैने देखा ,,,!
कहाँ मिले, ??
नहीं मिलें,,,
मैने खोजा,,
समष्टि तलक,,
व्यष्टि तलक !!!
कहा था ना …मिलेंगें,,
निर्झर कलरव के समीप
आशनाई में देखना मुझे,,
प्रिये !..मैने देखा,,
कहाँ मिले,,,??
नही मिले,,,
मैने खोजा,
जन्मों तलक,,
कायनात तलक,,!!!
कहा था ना मिलेंगे...
आकुल हृदय के दरम्यां
तन्हाई मे देखना मुझे…
हां ! प्रिय ..मैंने देखा…
बिन खोजे ही
तुम मिल गए …….
मुस्कुराते हुए
दिल के करीब …
अनन्त अनन्त सरगर्मियों में गूंथे हुए ….!!
अभिवादन !
तुम मिले.. हां मिले..मेरे भीतर .मेरे भीतर ..मेरे भीतर 🙏🏻🙏🏻
श्री अनूप श्रीवास्तव एवं स्वर्गीय भाभीजी को समर्पित
गीतकार पवन गौतम बृजराही बमूलिया
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