*नव वर्ष काव्य प्रतियोगिता*
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*एक घनाक्षरी छंद*
*शीर्षक- नया है क्या*
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“ज़िन्दगी जो गीत गा रही थी वही गा रही है,
वही बेसुरे हैं सुर ताल में नया है क्या।
हाल है खराब और चाल बेहिसाब पर,
लोग पूछते हैं हाल चाल में नया है क्या।
हाथ की लकीरों में लिखा है जो भी हानि लाभ,
वो तो होना ही है हर हाल में नया है क्या।
हम भी वही हैं और आप भी वही हैं फिर,
कोई तो बताये नए साल में नया है क्या।”
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*आकाश त्रिपाठी*
*मंत्री- प्रज्ञालोक सृजन संस्थान*
*मोहम्मदी (खीरी)*
संपर्क- 8090433408
Awesome.
Shandar aur jandar rachna 👌👌👌🙏🏻
So good
Thank you bhai
Bahut hi sundar rachna
Beautiful Lines
धन्यवाद।
बहुत खूब, वाह वाह
धन्यवाद विनय।
बहुत सुंदर रचना त्रिपाठी जी
सतीश बब्बा
धन्यवाद आदरणीय
Very nice 👍👍👍
धन्यवाद बहना
Really Awesome Brother !
बहुत बहुत धन्यवाद भाई
Very nice
थैंक यू सो मच मैम
Bhut khub bhaiya😃
Thanks shagun