नव वर्ष काव्य प्रतियोगिता
विधा- कविता
शीर्षक- ‘ आशाओं का नव वर्ष‘
रे मन, आशा की डोर को
तू कसकर बस थामे रखना
जाने ही वाला है यह साल
इसे तो था ही गुजरना।
नए पल का खुशी से
मिलकर करें हम स्वागत
तमन्ना हो जाए सब की पूरी
स्वागत है उसका जो है नवागत ।
Read your life
बच्चे खेले -कूदे हरदम
खुली हवा में दौड़ लगाए
रहे ना कोई घर में तनहा
हर बच्चा अब स्कूल जाए ।
सबको सबका प्यार मिले
सबके दिल भी रहे मिले
कोई किसी से अब ना बिछड़े
ऐसे सब कोई मिले गले ।
छोटी या बड़ी पर एक छत हो
रोटी हर किसी को नसीब हो
पड़े न किसी पैर में अब छाले
पैसे कम हो पर दिल गरीब ना हो।
आशा और विश्वास के साये में
हर ज़िंदगी का भला होगा
तू चल तो एक कदम ज़रा
पूरा आकाश तेरे कदमों तले होगा।
करें हम सबका भला
यह आस अब मन में रहे
क्यों ढूंढे बाहर जग में
जब एक सत्य मन में रहे ।
धरा मेरी बने स्वर्ग सम
यह संकल्प हो हर दिल में
आशाओं का दामन थामे
भाईचारे की ज्योत जले हर घर में।
स्वरचित
उषा गुप्ता ,इंदौर
बहुत सुंदर
बहुत बढ़िया रचना ❣❣
सुन्दर प्रेरक रचना.
ऊषा जी बधाई
बहुत सुंदर ,प्रेरणादायक कविता
Bahut soonder
Lajawab, bahut shandar
बुहत उत्तम.🌹