नया साल-अंजू सैनी सपना

नया साल
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*न* व प्रभात का उद्गम ही तो।
*या* दों का है सफर सुहाना।।
*सा* रा जीवन हंस-हंसकर गुजरे।
*ल* गने ना पाए गम के धारे।
*मु* स्कराकर इसका स्वागत तुम करना।
*बा* गों में कांटों से हटकर फूलों को चुनना।।
*र* खना प्यार सदा तुम संचित।
*क* रना ना मुझको प्यार से वंचित।।
*हो* न जाऐं मेरी यादें सपना।
*”सपना”* को अपने दिल में रखना।
अंजू सैनी ” *सपना* “(एआरपी)
गाजियाबाद

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