दशहरा
राम विजय त्यौहार
दशहरा राम विजय त्यौहार…
अधर्म पर धर्म की विजय..
विजयादशमी का पावन त्यौहार..
दशानन का संहार कर राम विजय..
अश्विन मास दशमी तिथि राम..
बुराई का अंत समाज स्वच्छ हो..
अपनी मर्यादा में रहने की सीख..
जब अमर्यादित हुआ रावण..
विवेक ज्ञान भय सब शून्य ..
कुल का अन्त बचा ना ही वंश..
दशानन जैसा ना ज्ञानी जग में कोई..
शिव भक्त बड़ा ही तपस्वी महान..
संस्कृत का प्रकांड ज्ञाता रचना किया..
शिव तांडव स्तोत्र जगत में नाम..
नारी का अपमान ही विनाश कारण..
सदियों से नारी ही शक्ति मान ..
सनातनी शाश्वत जगत विदित..
यही सीख देत जगत विजया दशमी..
दशहरा राम विजय त्यौहार…
राम नाम मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाया..
रावण ने सीता हरण , कुल का नाश…
आज जगह- जगह रावण मानव रुप..
लेना होगा फिर से अवतार राम को..
हजारों रावण का करना होगा संहार..
मन में रावण बसा मुख में श्री राम भजे
ऊंची पहुंच पैसे का रूतबा मेघनाद
बहुतरे घर- घर आज जनम लिए..
रावण रुपी पिता की छत्रछाया शरण
अभिमान- घमंड मैं ही मैं भरा सांस में
झूठ दंभ मिटा जगत में स्वच्छ समाज
दशहरा राम विजय का त्यौहार..
लेना होगा राम अवतार मनुज रुप..
फिर से लंका दहन की तैयारी..
रावण रुपी बुराई का करना होगा अंत..!!
आरती तिवारी सनत
दिल्ली