कविता
दिल चुरा ले जाते हो
जब-जब आते घर हमारे,
दिल चुरा ले जाते हो,
करके नींदे हराम हमारी,
मीठे सपने सजाते हो।
दिल चुरा ले जाते हो
दिल चुराना अच्छी बात नहीं,
किसी को सताना कोई सौगात नहीं,
करते हो तंग मुझको,
और तुम मुस्कुराते हो।
दिल चुरा ले जाते हो
जो भी है बातें तेरे दिल में,
क्यों नहीं उसे बताते हो,
कर दो इजहार अपने दिल की,
जाने क्यों शर्माते हो।
कहीं बीत नहीं जाये ये शुभ घड़ियाँ,
कहीं टूट नहीं जाये प्रेम की लड़ियाँ ,
कर दो इजहार दिल की बातें,
जाने क्यों छिपाते हो।
दिल चुरा ले जाते हो
—-0—–
अरविन्द अकेला,पूर्वी रामकृष्ण नगर,पटना-27