दोहा–
लीलाधारी कृष्ण की, महिमा अपरंपार।
भादो कृष्णा अष्टमी, लिया आप अवतार।।
चौपाई
यादव कुल जनमे गिरधारी,
मंगलाचार करे नर नारी।
कुंचित कुंतल तनु घनश्यामा,
सुंदर सजल नयन अभिरामा।
चंचल चितवन रूप अनूपा,
नेतिहु आत्मज्ञान स्वरूपा।
मथुरा में सब हर्ष मनाए,
सब नर नारी मंगल गाये।
मात यशोदा लाड़ लडाये,
नंद के घर आनंद समाये।
मामा कंस बड़ा अभिमानी,
देवकी सुत मारन को ठानी।
कंस बड़ा ही अत्याचारी,
मेटी दुविधा को बनवारी।
जमुना तट हरि धेनु चराएं,
ग्वाल बाल संग रास रचाएं।
ऐसी बंसी मधुर बजाएं,
तन की सुध बुध दे बसराए।
मुरली की धुन सुन बृजबाला,
दौड़ निहारत नंद के लाला।
बरसाने की राधा रानी,
हो गई ऐसी श्याम दीवानी।
मन मंदिर में श्याम बसाए,
श्याम दरस बिन चैन न आए।
द्रुपदसुता की लाज बचाई,
हे मनमोहन श्याम कन्हाई।
सदा रहे जयकार तुम्हारी,
सदा”सारथी” है बलिहारी।
संत कुमार सारथि नवलगढ़ राजस्थान