अरुण दिव्यांश की रचना गणेश वंदन

गणेश वंदन
जय गणपति बप्पा ,

जयविधाता ज्ञानेश ।
जय हे प्रभु गजानन ,
कृपा करो हे कृपेश ।।
करुणा बरसाने वाले ,
अब करुणा बरसा दे ।
अधमों को ज्ञान देकर ,
उनका मन हरसा दे ।।
गंदगी हो जिनके मन ,
उनके मन पावन कर दे ।
दूर गंदगी हो जिससे ,
शीतल सा सावन भर दे ।।
विघ्न हरो हे विघ्नेश ,
तन मन बुद्धि शुद्ध करो ।
रहे मन शीतल पावन ,
अशुद्ध मार्ग अवरूद्ध करो ।।
दूर हो तम अंतर्मन का ,
अंतर्मन में दो ज्ञानप्रकाश ।
कृपा हो जाए हम पर तेरी ,
उदार हृदय सदृश आकाश ।।
हे ज्ञान बुद्धि देनेवाले ,
तेरे चरणों में मेरा गमन है ।
हे कृपालु हे विघ्नहरणा ,
नित्य चरणों में कोटि नमन है ।।

अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )
बिहार ।

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