गोवर्धन पूजा
घनघोर घटा नभ में छाई
गोकुल में जब विपदा आई
देवराज इंद्र अभिमानी
कुपित हो काली घटा बरसाई
ब्रज वासियों की रक्षा करने को
अंगुली पे गोवर्धन धारण किया
छप्पन दिनों प्रभु श्री कृष्ण ने
इंद्र अभिमान को चूर किया
देवराज ने क्षमा मांग कर
भगवान को पहचान लिया
छप्पन भोग गोकुल वालों ने
मुदित होकर तैयार किया
अन्नकूट बना तब गोकुल में
नए उत्सव का रूप लिया
रुचि रुचि भोग लगा प्रभु को
मां अन्नपूर्णा का ध्यान किया
गोवर्धन पूजा कर जो भी
अन्नकूट का भोग लगाता है
नटवर नागर श्री कृष्ण की
कृपा प्रसाद वो पाता है
रमाकांत सोनी नवलगढ़
जिला झुंझुनू राजस्थान
इतना स्वरचित व मौलिक है