नव वर्ष की पदचाप
“अरे! नव वर्ष, मेरे हृदय की पद्चाप सुन लो तुम ,
तुम्हारे स्वागत में उछले ,
हृदय की झंकार सुन लो तुम ।
निराशा और हताशा के खड़े है बनखंड जो ,
उसे , तुम ही जला देना ।
अरे”! नव वर्ष मेरे हृदय की
पदचाप सुन लो तुम।
गुनगुना लो , मुस्करा लो ,
आनंद के गीत गा लो तुम।
अरे”! नव वर्ष मेरे हृदय की
पदचाप सुन लो तुम।
इंद्र धनुष के रंग ले लो तुम,
जीवन में भर लो रंग,
प्रकृति की धूप छांव खेलो तुम ।
अरे”! नव वर्ष मेरे हृदय की
पदचाप सुन लो तुम।
मुकुलित कलियों के गुंठन ,
फिज़ा में बहका , बहका रंग ,
खुद जीवन में रंगीन बरसातें कर
लो तुम।
अरे”! नव वर्ष मेरे हृदय की
पदचाप सुन लो तुम।
तुम्हारे स्वागत में उछले ,
हृदय की झंकार सुन लो तुम ।
मौलिक ,अप्रकाशित , स्वरचित ।
रंजुला चंडालिया कुमुदिनी ।
नासिक रोड (महाराष्ट्र से )