हिन्दी
गागर में सागर है,
ज्ञान पियूष उजागर है।
दिव्यता का बोध कराती,
अकूत प्रज्ञा विशाल हिन्दी ।।
सूर का चैतन्य गोचर,
कबीर की भक्ति गाथा।
राम चरित मानस और,
गंगा जमुनी तहजीब हिंदी।।
भारतीय जनमानस में रची बसी,
अद्भुत माधुर्य से पगी।
लोकोक्तियों , मुहावरों से सजी
अपने कथ्य शिल्प में बेमिसाल हिंदी।।
पावन निर्मल जिज्ञासा,
हरेक भारतीय की अभिलाषा।
आज की धरोहर,
सदियों की विरासत हिन्दी।।
वाग्देवी की जिहृवा,
दुर्गा स्तुति हमारी प्रार्थना।
हिमगिरि से हिन्द महासागर तक,
विस्तृत व्यापक है हिन्दी।।
हिन्द का स्वाभिमान,
हम भारतीयों की पहचान।
हमारे शिराओं में दौड़ रही,
विवेकानंद का व्याख्यान हिंदी।।
सुषमा सिंह
औरंगाबाद
–स्वरचित एवं मौलिक
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