गजल
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किस्से अब सरेआम होगें।
हम -दोनों बदनाम होगें।।
गली मुहल्ले में होंगे चर्चे।
सैकड़ों ताने इल्जाम होगें।।
एक – दूसरे में खोये हम।
जिन्दा अपने दम होंगे।।
आती जाती इन ऋतुओं में।
हम बहार- ए मौसम होंगे।।
हम इश्क के गुनहगार।
दर्दे – दिल के मरहम होंगे।।
सुषमा सिंह
औरंगाबाद
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