गजल
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सत्ताशीनों से पूछो, झूठे वादे करते हैं क्यों।
कुर्सी पाते ही वादों से मुकरते हैं क्यों ।।
दिखा कर सब्जबाग ठगते अवाम को।
चुनाव आते ही रंग बदलते हैं क्यों।।
सारे उपभोग है विधायक निवास में।
बेघर भूखे जन सड़कों पर भटकते हैं क्यों।।
झक श्वेत पहनावे में लगते फ़रिश्ते जैसे।
दो जून रोटी को देशवासी तरसते हैं क्यों।।
स्कूल सड़कों का जाल बिछाया प्रदेश में।
शिक्षकों की बहाली अनपढ़ मुखिया करते हैं क्यों।।
जेड प्लस की सुरक्षा है उनके लिए।
बेटियाें के संग दुष्कर्म होते हैं क्यों।।
खुद अध्यक्ष,बेटा उपाध्यक्ष बीबी होती सचिव।
होनहार नौजवान बेरोजगार भटकते हैं क्यों।।
कितने आजाद हैं हम इस आजाद देश में।
आजाद हिन्दुस्तां वाले दहशत में जीते हैं क्यों।।
सुषमा सिंह
औरंगाबाद
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( सर्व सुरक्षित एवं मौलिक)