जंगल बचाओ
(लोक धुन–करमा गीत)टेक- झिन काटो रे,हाय जंगल झिन काटो यार ।
धरती का सिंगार,जंगल झिन काटो रे ।
—–
बिन जंगल बादल नहीं रुकते,
बरसत् नैंया पानी ।
बिन पानी हरियाली न आये,
सूनी रहे किसानी ।।
जंगल झिन काटो यार ।
धरती का सिंगार,जंगल…….बिना किसानी कैसे जीहैं,
बिन भोजन के प्रानी ।
वृक्ष बिना जीवन है सूनो,
करियो मत नादानी ।।
जंगल झिन काटो यार ।
धरती का सिंगार,
जंगल झिन काटो रे ।भिलवा,महुआ,चार, तेंदू,
हर्रा और बहेरा ।
आंवला,मेन हर, आय बढ़ाये,
कैथा और ककोरा ।।
जंगल झिन काटो रे-
धरती का सिंगार,..
आजादी महोत्सव
पशु-पक्षी जंगल में रहते,
रहते कीट-पतंगा ।
वनस्पति से औषधि बनती,
खा कर रहते चंगा ।।
जंगल झिन काटो यार
धरती का सिंगार……..(लहकी धुन )
जंगल न काटों,न काटन देहों ।
काटे जो भी लड़ाई लेहों ।।
जंगल नै काटो रे यार ….
—
जंगल हमारा जीवन दानी ।
बादल रोके बरसे पानी ।
ज़ंगल नै काटो ये यार ।
——
जंगल देते हमें दवाई ।
जंगल से हम करते कमाई ।।
जंगल नै काटो रे यार………..—इति,——-
रचनाकार–लखन कछवाहा’ स्नेही’
मंडला,म.प्र.
