शिक्षक एक शिल्पकार की तरह होता-डा.रुपाली दिलीप चौधरी
वीना आडवानी तन्वी-रिपोर्ट
काशी कविता साहित्यिक मंच वाराणसी के द्वारा 5 सितम्बर को डा.राधा कृष्णन जी के जन्मदिवस के उपलक्ष्य मे मनाये जाने वाले शिक्षक दिवस को ओर भी बेहतरीन बनाने के लिये काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शोभा बढ़ाने के लिये डा.रुपाली दिलीप चौधरी जी शामिल हुई। सर्वप्रथम कार्यक्रम की शुरुआत मंच संचालिका बबीता यादव ने करते हुए कार्यक्रम अध्यक्ष मिथिलेश जी के उद्बोधन के साथ कार्यक्रम शुरुआत करने की अनुमति दी फिर मां शारदे को नमन करते हुए अलका जैन जो की मुंबई से हैं उन्होंने मां वीणा जी की स्तुति करते हुए कार्यक्रम को गति दी। श्र्वेता कन्नोजिया जी ने स्वागत गीत गाते हुए मुख्य अतिथि और समस्त साहित्यकारों का स्वागत किया। फिर मुख्य अतिथि डा.रुपाली दिलीप चौधरी जी ने अपने उद्बोधन के द्वारा कहा की शिक्षक वह शिल्पकार है जो एक गिली मिट्टी को विभिन्न रुपों मे ढ़ाल कर उसे बेहतरीन रुप दे सकता है। एक शिक्षक भविष्य के राष्ट्रीय निर्माता बच्चों को एक नया आयाम़ दे बुलंदियों को छूने मे मददगार हो सकता है। मुख्य अतिथि के उद्बोधन के बाद मंच संचालिकाओं बबीता यादव, शालिनी सोलंकी, साधना मिश्र विंध्य ने संचालन कर कार्यक्रम को गति प्रदान की। कार्यक्रम के अंत मे काशी कविता मंच वाराणसी के संस्थापक ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया मुख्य अतिथि और समस्त साहित्यकारों का साथ ही जल्द ही आनलाईन प्रशिक्षण के द्वारा पुन: कुछ कार्यशाला के माध्यम से सिखाने का वादा किया। कार्यक्रम समापन की घोषणा करते हुए समस्त संचालिकाओं ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।