कविता चांद मुझे बहलाया
चांद मुझे बहलाया काविता आज भी मेरे लिए , आसमां में चांद आया आज फिर देख उदास , मुझे चांद था बहलाया।। अपनी रौशनी से चांद मुझे रोज रौशन करता चांद से अपनापन पाके दिल मेरा था मुस्काया।। जाना , समझा हमने भी अब इस ज़माने को अपने तोड देते जब , तब सहारा बन … Read more