कविता
मेरा गाँव
•
सबसे न्यारा~
ख़ूबसूरत गाँव
सबसे प्यारा
•
सुरम्य गाँव~
जहाँ मिलती हमें
शीतल छाँव
•
कभी हँसाती~
भूली बिसरी यादें
कभी रूलाती
•
अद्भुत छटा~
अमूल्य धरोहरों
से गाँव अटा
•
शीश झुकाता~
माटी का कण-कण
गाथा सुनाता
लघुकथा बहू भी बेटी के समान होती है
******************
निर्मल जैन ‘नीर’
ऋषभदेव/उदयपुर
राजस्थान