न बदलेगा जमाना- खुद बदलना पड़ेगा-धनंजय मिश्र

उस वक्त तेरे हाथों में चूड़ी होगी
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कर लो तमाशा , तुम्हारा वक्त है ।
तुम्हें क्या पता ? दुनिया कितना सख्त है ।।
हर कदम पर लोग तुम्हें टोकेंगे ।
सच कहता हूं , तुम्हें वो आगे बढ़ने से रोकेंगे ।।
अब खुद को बदलना तेरी मजबूरी होगी ।
साथ अपनो के रहकर उनसे दूरी होगी ।
क्योंकि उस वक्त , तेरे हाथों में चूड़ी होगी ।

न कोई आदत , न कोई इबादत।
कहेगा तुम्हें , हर कोई कहावत ।।
हर एक कोई राजा , तुम्हारे बगल में ।
रहेगी तू दासी , रहके भी महल में
जब चूड़ी की छन छन में , ताना सुनेगी ।
हरदम ये आंसू ,आंखों से बहेगी।
न बदलेगा जमाना , खुद बदलना पड़ेगा ।
अब खुद को बदलना तेरी मजबूरी होगी ।
साथ अपनो के रहकर उनसे दूरी होगी ।
क्योंकि उस वक्त तेरे हाथों में चूड़ी होगी ।

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देनी पड़ेगी , खुशियों की कुर्बानी।
अब ना कोई सहेगा , तेरी नादानी।
आंसू की बूंदे जख्मों पर गिराकर
जख्मों पर रगड़ना मरहम को
छिपाकर ।
बन्द सांसो की घुटन से मत ऊब जाना ।
न करना शिकायत न करना बहाना।
दर्द सहके सहन को छुपाना पड़ेगा
न बदलेगा जमाना , खुद बदलना पड़ेगा ।
अब खुद को बदलना तेरी मजबूरी होगी ।
साथ अपनो के रहकर उनसे दूरी होगी ।
क्योंकि उस वक्त तेरे हाथों में चूड़ी होगी ।

न कोई सुलायेगा सिर को सहलाकर ।
न कोई खिलाएगा तुमको बहलाकर ।।
हर एक मोड़ पर साथ पहरा मिलेगा ।
हर किसी से तुम्हें जख्म गहरा मिलेगा ।।
रुक मत जाना तू जज्बे दबाकर ।
न लौट के आना तुम मुंह छिपाकर
तू भारत की बेटी है ,ये सबको दिखाकर ।
पढ़ लिखकर तुम्हे अब दिखाना पड़ेगा ।
न बदलेगा जमाना , खुद बदलना पड़ेगा ।
अब खुद को बदलना तेरी मजबूरी होगी ।
साथ अपनो के रहकर उनसे दूरी होगी ।
क्योंकि उस वक्त तेरे हाथों में चूड़ी होगी ।

दिखा देना रानी लक्ष्मी जैसी ताकत ।
जो आयी थी बनके दुश्मन के वो आफ़त।
कभी भी न रुकना कभी तू न थकना ।
पढ़लिखकर सभी के तू मुंह ढकना ।।
ये दिखावे की दुनिया , देकर धन दौलत ।
कर देंगें विदाई तेरी किस्मत के बदौलत ।।
मिश्र की बातें अब तो समझना पड़ेगा ।
न बदलेगा जमाना , खुद बदलना पड़ेगा ।।
अब खुद को बदलना तेरी मजबूरी होगी ।
साथ अपनो के रहकर उनसे दूरी होगी ।
क्योंकि उस वक्त तेरे हाथों में चूड़ी होगी ।

*धनंजय मिश्र*
टीसीसी कोचिंग ,जहानाबाद

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