गजल
आज मैंने रब से दुआ मांगी थी वह दुआ कुबूल हो गई
आज मेरी उम्मीद की कली भी खिलकर फूल हो गई
प्रेमग्रंथ की आयतो मे पड़ी थी कभी मैंने कीमत तेरी
आज उन आयतों को लिखकर कीमत मेरी वसूल हो गई।
इश्क में एक आंसू भी गिरा तो वह उम्र तक भिगो जाता है
उस बेवफा से मोहब्बत करके आज मेरी सबसे बड़ी भूल हो गई।
कुछ कश्तियां डूब जाती है गहरे इश्क के समंदर में
मेरी मोहब्बत की कश्ती भी इस समंदर में आज फिजूल हो गई।
मेरी आंखों में उसकी मोहब्बत के चिराग रोशन थे
उसकी बेवफाई में रोशन चिरागो की भी रोशनी गुल हो गई।
मोहब्बत का ऐसा अंजाम दिलों को राख कर देता है
इश्क के सफर में आगे जाकर वह रास्ते की धूल हो गई।
वैसे तो मोहब्बत की नहीं जाती मोहब्बत हो जाती है
लेकिन उससे मोहब्बत करके मोहब्बत भी जलील हो गई।
सीताराम पवार
उ मा वि धवली
जिला बड़वानी
9630603339