माँ मेरी माँ तू जग का आधार है,
उत्पन्न तुम्हीं से होता लय यह संसार है,
नव दुर्गा रूप आती मां भवानी हम पर लुटाती तू भरपूर प्यार है ।
माँ मेरी माँ तू ********
(१) प्रथम रूप में शैल पुत्री सोहे,
चेतना का रूप सर्वोत्तम स्थान है,
त्रिशूल हस्त और पद्म सुशोभित ,
शिव अर्धांगिनी सहज शृंगार है।
२
द्वितीय रूप मां ब्रह्म चारिणी,
घोर तपस्या से पाएं वरदान है
तप और त्याग की मूर्ति तू है
सदा संयम को देती आकार है,
मां मेरी मां तू जग का आधार है,०
(३) तृतीय रूप चन्द्र घंटा तू,
आत्मिक शक्ति करती प्रदान है,
अन्धकार का नाश है करती घंट ध्वनि से जय जय कार है।
मां मेरी मां तू जग का आधार है।
(४)चतुर्थ रूप कूष्माण्डा सोहे ब्रह्माण्ड रचना का आधार है चक्र गदा मां हस्त है तेरे
तू सृजन सृष्टि का सार है
मां मेरी मां तू जग का आधार है
(५) पंचम रूप मां स्कन्द मात तू,
नवचेतना का करती निर्माण हैै।
कार्तिकेय माता भवानी तुझमें ही खुलते मोक्ष द्वार है ।
(६) षट्म रुप माँ कत्यायनी तू ब्रज गोपिन्ह का इष्ट आवाह्न है।
महिषासुर मर्दिनी जगदम्बा इच्छा पूर्णी सिंह असवार है।
(७)सप्तम रूप मां कालरात्रि तू भयानक रूप गल विद्युत माल है,
रण चण्डी दुर्गा चामुण्डा माँ तू भक्तों को वर देती दुष्टों पर वार है।
(८) अष्टम रूप महागौरी तू सोहे,
शुभ्र वस्त्रा और शुभ गौराङ्ग है ।
अमोघ फलदायिनी बाला स्वरूप तू ,
हम सब आते माता तेरे द्वार हैं।
मां मेरी मां तू जग का आधार है।
मां मेरी माँ तू जग का आधार है।
अतुल *अविरल*