हायकू 10/2/2022
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मन का चोर
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मन का चोर
बढ़ता जाए मोह
वो चितचोर !
नीदें चुराता,
सपने भी दिखाता,
रातें जगाता !
दिल बेचैन,
जाग जागी सी रैन,
खोया है चैन!
उदास मन,
करूं लाख जतन,
रुठे सजन!
भींगी पलकें,
बिखरी हैं अलकें,
मन भटके!
कह ना पाऊॅं,
खुद को समझाऊॅं,
मैं शरमाऊॅं!
सुषमा सिंह
औरंगाबाद
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(सर्वाधिकार सुरक्षित)