उत्सव==त्यौहार, मंगल कार्य
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अनमोल जिंदगी को,खुशी से बिताना है ।
जिंदगानी के हर लम्हे में, तराना गाना है ।।
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ज़िन्दगी है चार दिन की,मायावी दुनियां में ।
जितने भी दिन मिलें, हमें उत्सव मनाना है ।।
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उत्सव से ज़िन्दगी में, चार चांद लगते हैं ।
उत्सव की रस्म,पीढ़ी दर पीढ़ी मनाना है ।।
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उत्साही-जन उत्सव मना, आनंद लेते हैं ।
उत्सव का न मनाना, ज़िन्दगी गंवाना है ।।
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उत्सव से संस्कृति की है, पहचान हमारी ।
उत्सव के साथ मानवी,जीवन बिताना है ।।
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गजलकार–लखन कछवाहा ‘स्नेही’
