देश के नाम
मिली स्वतन्त्रता देश को
स्वर्णिम सबकी थाती
देश हुआ आज़ाद हमारा
बरसों की सुधि आती
अट्ठारह सौ सत्तावन में
चिनगारी जो निकली
लावा बन ज्वालामुखी का
भारत भर में पिघली
वीर किए मिल अंग्रेज़ों के
मंसूबों को ध्वस्त
भारत का परचम लहराया
हुए फिरंगी पस्त
नमन सभी का है सुभाष को
जब तक धरा रहेगी
मंगल पांडे शास्त्री पटेल की
गाथा अमर रहेगी
लक्ष्मीबाई भगतसिंह औ
चन्द्र शेखर यश गान
उनके जैसे कितनों ने ही
किया आत्म बलिदान
हर तरफ चेतना रूप लिया
जन जन का आन्दोलन
भारत छोड़ो आंदोलन फिर
जेल भरो आंदोलन
साल हजारों बीत गए तब
नया सवेरा आया
टूटी बेड़ी परतंत्रता की
दिल सबका मुसकाया
उन्नीस सौ सैंतालीस में
मिला है जो उपहार
पंद्रह अगस्त के दिन को तो
नमन है सौ सौ बार
देवी प्रसाद पाण्डेय प्रयागराज