फिर आया नव वर्ष
फिर आया नव वर्ष
नव उमंग, नव उत्साह लेकर
झिलमिल करती यादों की
संजोए अनंत सपने लेकर ।
बीते वर्षों में जो घटित हुआ
बन जाएगा इतिहास सब
जख्म भी भर जाएंगे सभी
खिलेगा जब नव पल्लव।
वक्त कहां ठहरा रहता
वह तो आगे बढ़ता है
नए विचार नए संस्कारों से
वह सजता सबरता है।
छोड़ो कल की बीती बातें
कब तक मातम मनाएं हम
ले संकल्प कुछ करने का
देश को सुदृढ़ बनाए हम।
भूत से सीख लें
भविष्य निखारे
जड़-जड़ पैरों के निशा से हम
अपना वर्तमान संवारे।
हो खत्म आतंक डर का
घर- घर होली ,दिवाली ,ईद मने
भूलाकर सांप्रदायिक बैर हम
मानवता की राह चले।
स्वरचित :- मुन्नी कामत 🙏😊
ग्राम:- सुरयाही- परसा, मधुबनी (बिहार)
munnikamat@gmail.com