“ॐ”
*कविता*
*नव वर्ष*
नव पल्लव,नववर्ष आया।
सुख-समृद्धि झोली भर लाया।
खिले पुष्प सा जीवन सबका।
मन की आशा हो पूरी।
कभी न हो नीरवता मन में।
द्वेष नही कोई मन में रखना।
मिलो तो सदा अपनो से लगना।
जीवन है,एक सुन्दर सपना।
हो हर आशा पूरी।
घर चहके पल-पल महके।
हर दिल में मुस्कान खिले।
अरमान के फूल खिले।
खुशियॉ सबकी हो पूरी।
यही मंगल कामना मेरी ।
आशा और विश्वास रखो तुम।
निराशा मन कि दूर करो तुम
यही जीवन की धूरी।
हँसो,खिलो-खिलखिलाओ स्वजन।
नववर्ष नई आशा,नई खुशियों का संसार खुला हो।
हर घर मंगल गीत बजे।
घर,आँगन में दीप जले।
सबकी आस हो पूरी।
यही कामना मेरी।
नव पल्लव,नववर्ष आया।
खुशियों की सौगात लाया।
किसी चहरे पर मुस्कान खिला सको।
तो जीवन सार्थकता हो पूरी।
यही कामना मेरी।
वन्दना पुणतांबेकर
इंदौर