मैं हूँ नववर्ष
…………..
मैं हूँ नववर्ष ,आता हूँं प्रतिवर्ष।
मैं हूँ नववर्ष ……
सृष्टि की शुरुआत से,अनवरत चलता आ रहा।
बदलता दिन, बदलता वर्ष,कभी गम तो कभी हर्ष।।
बीते तीज-त्यौहार सब फीके, शादी-उत्सव भी सब छूटे।
इक नई आस लेकर आऊँगा,मै फिरसे इस वर्ष।।
मै हूँ नववर्ष ,…… …..
देखे कई उतार-चढाव,आते-जाते जीवन में।
कभी भर देतें हैं जीवनमें ढेरों खुशियाँ सराबोर।।
कभी एक के बाद एक प्राकृतिक आपदाएं देतीं हैं झकझोर।
ऐसे अनगिन परिदृश्यों का,
मैं प्रतिकर्ष हूँ।। मै नववर्ष…..
मौत के तांडव में बिखर गये जो,उन सबके संताप हरो।
आने वाला रहे वर्ष सुरक्षित, ऐसा कुछ उपचार करो।।
न अनाथ हों नौनिहाल अब,न सूनी हो किसी गोद।
हे इक्कीस ! तुमसे है बस यही अनुरोध…..
समेट धरा से सबके दुःख-दर्द, अपने संग है ले जाना।।
इतिहास में ये दिन फिर कभी न दिखलाना।।
छीना तुमने कितनों का ही,उनसे सुख-शांति-ऐश्वर्य।
अब जाओ मै तुम्हें विदा करती हूँ सहर्ष…..
बाईस तुम्हारा स्वागत है,वंदन है ,अभिनंदन है।
नव प्रभात की नव बेला में,अनगिन खुशियाँ बिखरा देना।
कोविड के झंझावातों में,शीतल बयार बनकर आना ।
नया सबेरा साथ ले अपने,फैलाना जग में उतकर्ष।
आना तुम प्रतिवर्ष, स्वागत है नव वर्ष……..
सुषमा सिंह कर्चुली
सिहोरा जबलपुर(म.प्र.)
बहुत बढ़िया
Bahut sundar
अति सुन्दर 👌👌
बहुत सुन्दर
Very nice
Marvelous 👍👍👍
Very nice अप्रतीम
,🙏💐👌