नया साल आ गया .
World of writers
चलो फिर से एक नया साल आ गया
उम्मीदें जगाने जैसे ख्वाब आ गया।
गुजरे हुए कल का जवाब आ गया
ये साल कैसा होगा ये सवाल आ गया।
गये साल में जो नाकाम हुये हैं
उनके लिए उम्मीदों का सैलाब आ गया।
वक्त की मार से जो लहू-लुहान है
उनके लिए जैसे ईलाज आ गया।
दो वक्त की रोटी जिनको नहीं नसीब
जैसा पुराना वैसा नया साल आ गया।
रुपयों और पैसों का बिछोना हो जहाँ
जैसा पुराना वैसा नया साल आ गया।
जिसका जैसा दिन था वैसा साल आ गया
नया कुछ नहीं फिर भी नया साल आ गया।
लिखा हो जो किस्मत में वो मिलेगा ‘सुकून’
नया साल का तो बस नाम आ गया।
चलो फिर से एक नया साल आ गया
उम्मीदें जगाने जैसे ख्वाब आ गया।
World of writers
रश्मि श्रीवास्तव ‘सुकून’
दुर्ग छत्तीसगढ़
👌💐 शानदार सृजन की बधाईयाँ स्वीकार करें 💐💐👍
— राजकुमार छापड़िया