।।नूतनम् वर्षानि मंगलम।।
है धर्म विविध अपना विचार
यह विश्व खड़ा स्तम्भ चार
जग प्रेम भाव से ओत प्रोत
हमें करना है क्यूँ कर विरोध
नव ऊर्जा का संचार करें
आओ आगत का सत्कार करें
भूषण है मानवता विशेष
है अलग धर्म पर एक देश
कटु सत्य भारती माता है
यही सरोकार और नाता है
वैमनस्य भूल चल उठ झूल
झूले लगे हैं वागौं में
हम फूल अनेको एक मगर
खुशबू है पिरोये धागों में
सुख दुःख के साथी हैं समान
सर्व धर्म समभाव मान
ना हिंदू हम ना मुसलमान
ना सिख ईसाई धर्म ज्ञान
हम सभी मनुज सद्बुद्धि जान
ईश्वर को प्रेम ही भाता है
कटु सत्य भारती माता है
क्या धर्म बदल सकता है खून
फिर क्यूँ कर इतना है जुनून
तुम काशी जा या कावा में
या मठ मंदिर के छाया में
सुख शांति मिलकर रहने में
धिक्कार जो,वो लड़वाता है
कटु सत्य भारती माता है
विगत दोष को दे अंजलि
नव वर्ष प्रीतमय हो मंजर
स्नेह भूमि जो है बंजर
संकल्प हरित कर मिल कर के
मधु अमृत जो प्रेम उसे
भ्रमर विथि बन बाँट मजे
सबसे शुलभ सुहाता है
कटु सत्य भारती माता है
।।नूतनम् वर्षानि मंगलम।।
-सुभाष चन्द्र झा
ग्राम +पोस्ट -लखनौर
भाया -झंझारपुर
जिला -मधुबनी, बिहार
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