नया है उमंग
नव वर्ष है आया,नया है उमंग
नव प्रभात की है बेला, नव-नव बजने लगा है तरंग।
सब ने बढ़ाए पग हैं बन तुरंग,
खिचेंगे प्रगति प्रेम रथ रह सत्संग।
रूह को लगने लगा अनिल स्वाभिमान का
नयनों से हटने लगा अंजन अभिमान का
खिलने लगे हैं खुशियों के सुमन उपवन-उपवन में
करने मस्त उड़ने लगी खुशबू जन-जन में
नव वर्ष है आया,नया है उमंग
नव प्रभात की है बेला, नव-नव बजने लगा है तरंग।
रीतु प्रज्ञा
दरभंगा, बिहार