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🧡**पहली मोहब्बत की खुशबू**❤️
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न जाने कहां से चली आ रही है-2
ये पहली मोहब्बत की मीठी सी खुशबू।
असर चाहतों का हुआ मुझपे शायद,
न काबू में दिल है हुआ कैसा जादू।
नयी सी लगे हैं मुझे सारी दुनियां,
नये बन गये हैं पुराने तराने।
के सब में दिखाई मुझे तूं हीं तूं दे,
कि मुझसा लगे अब मुझे सब दीवाने।
के सांसों में मेरी घुली जा रही है,
खुशी से हुआ है मेरा दिल बेकाबू।
न जाने कहां से चली आ रही है,
ये पहली मोहब्बत की मीठी सी खुशबू ।
मेरा दिल दीवाना मेरा मन है प्यासा,
मैं जागे में सोऊं मैं सोये में जागूं।
कि कुदरत ने तुझको है दिल से तराशा
मैं बन जाऊं भंवरा बहारों में भागूं।
मोहब्बत की सीमा मैं कैसे बताऊं,
कि मरकर भी दिल से मैं उनको हीं चाहूं।
न जाने कहां से चली आ रही है,
ये पहली मोहब्बत की मीठी सी खुशबू।
ये असर चाहतों का…..!!!
न काबू में दिल है………!!!
—प्रीतम कुमार झा
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महुआ, वैशाली, बिहार।
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