पापा
हूँ मैं परिंदा मेरा आसमान है पापा।
है मेरा हौसला मेरी उड़ान है पापा।।
जहाँ में कोई नहीं ख़ैर-ख़्वाह है मेरा।
तुही सुकून है धड़कन है जान है पापा।।
क़ुरान, वेद है, परवरदिगार है मेरा।
सुबह की आरती शाम-ए-अज़ान है पापा।।
बड़ा ख़ुलूस से मेरा ख़याल रखता है।
पूरे जहान में सबसे महान है पापा।।
हाँ चक्रपाणि सर-ए-‘आम सबसे कहता है।
मेरा ग़ुरूर है मेरा गुमान है पापा।।
1212 1122 1212 22
टच कर पढ़िए चाल हिरनी से लाऊँ या जुल्फें झटकाऊँ
१)ख़ैर-ख़्वाह-शुभचिंतक, शुभेच्छु, हितैषी, हमदर्द
~Himanshu Chakrapani