गजल-पीया है जब शराब तो फिर-रोने की बात क्या

पीया है जब शराब तो फिर, रोने की बात क्या
दिल से लगा लिया है इसे, खोने की बात क्या
पीया है जब——————-(1)

चाहा था मैंने जिसको ,मुझको मीला नहीं
खाया है मैने धोखा ,फिर भी गीला नहीं

शैर— यह जाम बना हमदर्द मेरा
जिसने मेरे दर्द को समझा है
विश्वास न कर बेदर्दो पर
यह जाम छलक कर कहता है

जब निंद ही न आए तो सोने की बात क्या
दिल से——– ————————-
पीया है जब——————(2)

मुझसे कहाँ क्या भूल हुई, दामन छुड़ा गए
देखे थे जो भी सपने ,उनको भी उडा़ गए

शैर—कौन कहता है पीना गलत है
पीना नहीं, घुट-घुट कर जीना गलत है
दर्द मीला जो यार से अपना
उस दर्द को सीना गलत है

जब बंजर भूमि हुई है बिज बोने की बात क्या
दिल से लगा——————
पीया है जब————-(3)

मेंहदी रचा गए जो ,औरों के नाम का
रहा न मेरा जीवन, अब कोई काम का

शैर—अब तो जीना पड़ेगा
इस जाम के सहारे
दिल में बसा है मेरा
उस नाम के सहारे

जिसे दिल से मिटा दिया तो उसे ढोने की बात क्या
दिल से लगा लिया————————–
पीया है जब—————–( 4)

कवि—–प्रेमशंकर प्रेमी (रियासत पवई )

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