नव वर्ष-श्रीमती पूजा नबीरा

नववर्ष
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नव अरुणोदय की सिंदूरी सी स्वर्णिम किरणों के साथ….
नववर्ष तुम आना नये आगाज और उत्साह के साथ……
संजोये हैं स्वप्न की सृष्टि फिर नव अंगड़ाई लेगी…
फूल फिर से नन्हे से स्कूलों की क्यारी में लहलहायेंगे….
गुलिस्ता ये मेरा फिर से हरा भरा हो जायेगा…
देश का हर पंछी गीत अमन का गुनगुनाएगा….
तिमिर क़ो दूर कर हर द्वारा पे दीप आशा का झिलमिलाएगा…..
हर घाव के लिये मरहम तू झोली में अपने लाएगा….
इंसानियत जिंदा रहे ना उठाये कोई मज़बूरी का फायदा….
बिलखते नयनों क़ो धीरज का बड़ा पैगाम लाना….
भूके क़ो रोटी और खाली हाथों क़ो काम की बरकत लाना..
झूठी आशा ना कोई दिलासा ना कोई बड़ा है सपना…
टूटी आस का तुम सहारा खोज कर इस बार बस लाना….
मजहब और धर्म बस मदद सिखा कर सभी क़ो जाये…
जो भी मुरझाया है वो तेरे आँचल तले बस मुस्कुराये….
आजाओ नव वर्ष धीमे से इस बार बन कर नया आगाज
श्रीमती पूजा नबीरा
काटोल नागपुर
स्वरचित
Pankajnabira@gmail.com

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