वैराग्य
सांसारिक जीवन से विरक्ति वैराग्य जब जागे
हृदय के सारे अंधकार दुर्गुण दोष सब भागे
बने वैरागी राजा भर्तृहरि राजपाट दिया त्याग
तप योग साधना कर हुआ हरि भजन अनुराग
गौतम बुद्ध वैराग्य जागा जन्म मरण गए जान
खूब तपस्या करके वन में महात्मा हुये महान
साधु-संत फकीर हो जाते तज सारी मोह माया
वैरागी धर वेश जगत में दरवेश वो कहलाया
त्याग तपस्या कड़ी साधना सिद्ध योगी कर पाते
आराधक साधक सब हरि चरणों में ध्यान लगाते
राग द्वेश सब काम क्रोध का दमन किया करता है
वैरागी वैराग्य साधकर तप योग साधना करता है
परमानंद पाते चरणों में हरि का ध्यान लगाकर
आठो पहर आनंदमय होते हरि कृपा को पाकर
किनारा
विश्वास प्रेम को छोड़ अपनों ने किनारा कर लिया
हौसला करके बुलंद जमाने में गुजारा कर लिया
जंग भरी इस दुनिया में मैं खड़ा किनारे पे रहा
छोड़ा साथ अपनों ने साहस मेरा साथ दे रहा
नदी किनारे सिंधु तट पर्वत वादियां मनमोहक
हरियाली से लदी धरा कुदरत नजारे है रोचक
सद्भावों की धारा में आकर कई किनारे मिल गए
नेह की गंगा में बहकर दिल फूलों से खिल गए
कभी किनारा कर मत लेना उन बुड्ढे मां-बाप से
आशीषों से दामन भर लो शुभ कर्मों के ताप से
दुर्गुणों से करो किनारा जीवन नैया पार करो
प्यार के मोती लुटाओ खुशियों से झोली भरो
रमाकांत सोनी नवलगढ़
जिला झुंझुनू राजस्थान