नव वर्ष-संजू पाठक ‘गौरीश’

नव वर्ष
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बिखेरीं रश्मियां रवि ने,
करो स्वागत सभी मिलकर।

उषा की लालिमा सा तेज,
बिखराओ कहे दिनकर ।।

अमावस निशि स्याह चाहे,
चांद पूनम उजाला है।

अटल हैं यह समझ लो तुम,
प्रकृति का क्रम निराला है।।

ना होता चाहने से कुछ ,
अथक श्रम तो जरूरी है।

सफलता फिर कदम चूमे,
हर एक अभिलाष पूरी है।।

करो तुम कर्म अपना बस,
नहीं चिंता करो फल की।

समय खुद पथ-प्रदर्शक है,
न यह चर्चा किसी बल की।।

करो आगाज वर्ष नूतन,
विचारों के नए किसलय।

नयी सुर तान छेड़ो फिर,
रखो गतिमान जीवन लय ।।

©® ~संजू पाठक ‘गौरीश’
इंदौर,म.प्र.

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