चन्द्रशेखर आजाद<(शायरी)/strong>!
सूरज के जैसा था तेज,
जिगर से फौलादी थे।
मन में था संकल्प देश का,
इन्कलाबी आँधी थे।
अंग्रेजों के न हाथ लगे कभी,
ऐसे राजदुलारे थे।
आजादी की पौध रोपनेवाले,
ऐसे चाँद-सितारे थे।
वो रुके नहीं,कभी झुके नहीं,
ऐसे तो परवाने थे।
खून की होली खेलने वाले,
ऐसे तो दीवाने थे।
हिमालय का सिर ऊँचा रखे,
वतन पर जान लुटाए।
काकोरी में बढ़-चढ़कर,
वो अपना फर्ज निभाए।
रानी आवन्ति बाई लोधी- लखन कछवाहा
आजादी के उस महायज्ञ में,
अपना त्याग दिखाए।
लावा फूटा था आँखों से,
तन-मन की भेंट च़ढ़ाए।
भारत माँ के हर ऋण को,
देकर खून चुकाये।
कभी नहीं वो जेल गए,
किए संकल्प दिखाए।
जब तक सूरज-चाँद रहेगा,
अमर रहेगा नाम तेरा।
तीर्थ से बड़ी पिस्तौल है तेरी,
ऐसा कहता खून मेरा।
आजाद पार्क के उस परिसर में,
शेखर जवानी दे डाले।
हो रहा आज क्या देश में,
रहनुमा घोटाले कर डाले।
Shyari padhne ke liye Jude rhe
रामकेश एम.यादव (कवि,साहित्यकार), मुंबई