*गज़ले वो लिखाती है*
“ग़जल उसकी लिखते समय मेरे जज़्बात बहते है”
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मैं खामोश रहता हूं अक्सर मगर मेरी ये ग़ज़ल बोलती है
मैं लाख छुपाउ दुनिया से मगर मेरे वो राज खोलती है।
गजल पढ़ने वाले पूछते हैं गजल तू किस पर लिखता है
मैं लिखता हूं गजल उस पर मगर कलम लब्ज तोलती है।
गजल उसकी लिखते समय मेरे जज्बात बहकने लगते है
मेरी आंखों में फिर उसकी हसीन तस्वीर डोलती है।
खूबसूरत भी है वह और सबसे जहीन भी लगती है
गजलें तो वो लिखाती है क्योंकि वह मेरी प्रेरणा लगती है।
जब वह मुश्किल में होती है गजल में दर्द आ जाता है
गजल दर्द भरी बन जाती हैं और दिलों की नीव हिलती है।
दिलों का दर्द हमको आसानी से कब मालूम होता है।
कभी-कभी मुझसे मिलती मग़र वो प्यार से मिलती है।
उसकी पनाहों में मुझको मोहब्बत का एहसास होता है
फिर दिल गुलशन बन जाता है और इश्क की कलियां खिलती है।
सीताराम पवार
उ मा वि धवली
जिला बड़वानी
9630603339