नव वर्ष
नई मंजिले नया सा साल है हर बार होता यही हाल है
कुछ दिनों का रहता जोश नया नया होता बवाल है
कुछ नया सा सब करना चाहते मिल जाये जिससे कुछ राहते
हर कोई कुछ अलग मे है लगता जो मिल जाये जिसके वास्ते
नये रंग मे खुद को रंगना नहीं होता आसान इतना
कुछ पल को ख़ुशी होती फिर वही पुराना सपना
नया करने से अच्छा है पुराने को ही सुधार लो
जिंदगी मिली है एक ही ना इससे कुछ उधार लो
माहिर हो जाओ काम मे ना बदलाव करो नाम मे
मेहनत के बल जीत जाओ ना बने रहो आम मे
नया करना कुछ बुरा नहीं काम करो जो हुआ पूरा नहीं
एक हो जाये तो दूजा करो ना कुछ भीं अधूरा करो
स्नेहा धनोदकर