विघ्न विनाशक मंगल दायक, गजानंद महाराज।
बेगा आओ आंगनिया में, सब सारो म्हारा काज।
बुद्धि विधाता श्रीगणेश, गौरीसुत विनायक आओ।
रिद्धि सिद्धि संग पधारो शंकर सुवन मन भावो।
अक्षत रोली श्रीफल चढ़े, मोदक प्रिय मिश्री मेवा।
छप्पन भोग विनायक थारे, लागे गजानंद देवा।
दुंद दुंदाला एकदंत हे, लंबोदर देव गणराज।
सूंड सुंडाला कृपा सिंधु,प्रथम पूज्य पधारो आज।
बुद्धि विधाता वैभव दाता, करो कृपा हे सुखदाता।
कीर्ति पताका जग लहराये, गौरी पुत्र हे गुणदाता।
जग की पीर हरे गजानन,अटकी नैया पार लगाये।
विघ्नहर्ता शंकर सुवन, सारे भाग्य तारे चमकाए।
घर घर में खुशियां बरसे, सारे भर जाए भंडार।
गणपति का दरबार सजा, होती जय जयकार।
गजानंद का ध्यान धरे जो, सबका होता बेड़ा पार।
सुख समृद्धि घर आए, होता शुभ श्री मंगलाचार।
धूप दीप प्रसून चढ़ाए, प्यारा गजानंद रोज मनाए।
गुणनिधि देव विनायक, सब काज सिद्ध हो जाए।
रमाकांत सोनी नवलगढ़
जिला झुंझुनू राजस्थान