श्रीराम श्रीश्याम भजन

भजन
श्रीराम हरे सीताराम हरे ।

श्रीश्याम हरे राधेश्याम हरे ।।
कौन दुःख हरे कौन सुख भरे ।
कौन तन मन पावन पवित्र करे ।।
श्रीराम हरे सीताराम हरे ।
श्रीश्याम हरे राधेश्याम हरे ।।
बहती मन में पाप की नदिया ,
कौन मन को मेरे निश्छल करे ।
कर्ता कोई और भर्ता है कोई ,
पापी मन से जीवन है डरे ।
श्रीराम हरे सीताराम हरे ,
श्रीश्याम हरे राधेश्याम हरे ।
लाईन को टच कर पढ़ें आजादी का अमृत-महोत्सव 2022
हर संकट हरो हर बाधा हरो ,
अंदर बाहर सब पाप भरे ।
मैं दुखिया यह पापी दुनियाँ ,
पापी नगरी में जीवन चरे ।
श्रीराम हरे सीताराम हरे ,
श्रीश्याम हरे राधेश्याम हरे ।
मंदिर में घुमे मस्जिद में घुमे ,
घर की बगिया में पाप भरे ।
चर्च गुरुद्वारा बेकार जीवन में ,
अश्रु नयन धरा मोहे ढरे ।
श्रीराम हरे सीताराम हरे ,
श्रीश्याम हरे राधेश्याम हरे ।
भाई पत्नी कहीं कोई नहीं है ,
तुम बिन जीवन व्याकुल भरे ।
अरुण दिव्यांश की आत्म दुखी ,
कर जोड़ नत है विनती करे ।
श्रीराम हरे सीताराम हरे ,
श्रीश्याम हरे राधेश्याम हरे ।

अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा , सारण ,
बिहार ।

Leave a Comment